-
पुनः पुनः
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 10.50322 | Lang: NA
-
पुनः पुनः यावें
भा.रा.तांबे यांच्या कविता अत्यंत हळुवार असून त्या मनाला भिडतात
Type: PAGE | Rank: 4.210052 | Lang: NA
-
धर्मसिंधु - पुनः प्रतिष्ठा
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 4.203868 | Lang: NA
-
तृतीयपरिच्छेद - पुनः प्रतिष्ठा
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
Type: PAGE | Rank: 4.20067 | Lang: NA
-
अग्नीचें पुनः संधान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
Type: PAGE | Rank: 2.081949 | Lang: NA
-
गेली वेळ (घडी) पुनः येत नाहीं
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.081949 | Lang: NA
-
एखाद्या असत्याचा पुनः पुनः पुकार केला म्हणजे त्याला काही दिवसांनी सत्याची शाश्र्वती मिळूं लागते
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.081949 | Lang: NA
-
दांडयानें पाणी तोडलें आणि पुनः एक झालें
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.081949 | Lang: NA
-
पुनः
Meanings: 9; in Dictionaries: 8
Type: WORD | Rank: 2.081949 | Lang: NA
-
पुनः चक्रित करना
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.081949 | Lang: NA
-
पुनः जाँचना
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.081949 | Lang: NA
-
revise
Meanings: 15; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 1.401883 | Lang: NA
-
again
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 1.197242 | Lang: NA
-
oft
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.9835323 | Lang: NA
-
nevertheless
Meanings: 6; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.8415613 | Lang: NA
-
however
Meanings: 7; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.8170852 | Lang: NA
-
again and again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.7844505 | Lang: NA
-
over and over
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.7844505 | Lang: NA
-
over and over again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.7844505 | Lang: NA
-
time and again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.7844505 | Lang: NA
-
time and time again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.7844505 | Lang: NA
-
retool
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6723861 | Lang: NA
-
once again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.5823035 | Lang: NA
-
once more
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.5823035 | Lang: NA
-
over again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.5823035 | Lang: NA
-
frequently
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.4754488 | Lang: NA
-
oftentimes
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4754488 | Lang: NA
-
ofttimes
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4754488 | Lang: NA
-
recycle
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4482574 | Lang: NA
-
reprocess
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4482574 | Lang: NA
-
reuse
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.4482574 | Lang: NA
-
even so
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3922252 | Lang: NA
-
all the same
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3922252 | Lang: NA
-
nonetheless
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3922252 | Lang: NA
-
notwithstanding
Meanings: 11; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.3922252 | Lang: NA
-
withal
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.3922252 | Lang: NA
-
often
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.3169658 | Lang: NA
-
yet
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.2241287 | Lang: NA
-
still
Meanings: 35; in Dictionaries: 10
Type: WORD | Rank: 0.1961126 | Lang: NA
-
रघुनाथ पंडित - रामदास- वर्णन
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ ११
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ १५
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ १३
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ २४
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ ३
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ ७
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ ८
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ २०
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ १७
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA
-
दमयंती स्वयंवर - पृष्ठ ५
रघुनाथ पंडित यांच्या काव्यात इतके माधुर्य व इतका रस आहे की, ते आरंभापासून शेवटापर्यंत वाचल्यावाचून मनाची तृप्ति होत नाही व एकदा वाचले म्हणजे पुनः वाचावेसे वाटते.
Type: PAGE | Rank: 0.166265 | Lang: NA